मेंटल हेल्थ पर बोझ बढ़ा: हर तीसरा युवा डिप्रेशन का शिकार

  


मुख्य बिंदु (Highlights):

  • हर 3 में से 1 युवा किसी न किसी मानसिक समस्या से जूझ रहा है

  • सोशल मीडिया, पढ़ाई का दबाव और अकेलापन बने प्रमुख कारण

  • अवसाद, एंग्जायटी और पैनिक अटैक जैसे लक्षण तेजी से बढ़े

  • स्कूल-कॉलेजों में काउंसलिंग और थैरेपी की सख्त ज़रूरत

मानसिक स्वास्थ्य: एक अदृश्य महामारी

आज के दौर में मानसिक स्वास्थ्य एक गंभीर और अक्सर नज़रअंदाज़ की जाने वाली चुनौती बन गया है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज़ (NIMHANS) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर तीसरा युवा डिप्रेशन, एंग्जायटी, या तनाव जैसे मानसिक रोगों से जूझ रहा है।
सबसे बड़ी विडंबना यह है कि इनमें से ज्यादातर को न तो सही जानकारी है और न ही समय पर मदद मिल पाती है।

क्या हैं मुख्य कारण?

कारण

विवरण

सोशल मीडिया की तुलना

दूसरों की 'परफेक्ट लाइफ' देखकर खुद को कम आंकना

अकेलापन

परिवार या दोस्तों से जुड़ाव की कमी

पढ़ाई और करियर का दबाव

असफलता का डर, अत्यधिक प्रतिस्पर्धा

नींद की कमी

देर रात तक स्क्रीन पर रहना

क्या हैं डिप्रेशन के लक्षण?

  • मन लगातार उदास रहना

  • किसी भी काम में रुचि न रहना

  • आत्मग्लानि या निराशा

  • थकान और ऊर्जा की कमी

  • नींद या भूख में असंतुलन

  • बार-बार आत्महत्या के ख्याल आना

यदि ये लक्षण दो सप्ताह से अधिक समय तक बने रहें, तो तुरंत मनोचिकित्सक से संपर्क करें।

विशेषज्ञों की राय

AIIMS के मनोचिकित्सक डॉ. रमन घोष के अनुसार, "मेंटल हेल्थ को उतना ही गंभीरता से लेने की ज़रूरत है जितनी हार्ट या डायबिटीज जैसी बीमारियों को। युवा वर्ग सबसे अधिक संवेदनशील है, इसलिए सही मार्गदर्शन और समर्थन अनिवार्य है।"

क्या करें?

 1. दिनचर्या को संतुलित करें

नियमित नींद, योग, और एक्सरसाइज़ तनाव को कम करने में सहायक हैं।

 2. खुले मन से बात करें

मन की बातें दोस्तों, परिवार या काउंसलर से साझा करें।

 3. सोशल मीडिया ब्रेक लें

हफ्ते में कुछ दिन डिजिटल डिटॉक्स करें।

 4. रुचियों को समय दें

ड्राइंग, संगीत, किताबें — जो भी सुकून दे, वही करें।

स्कूल-कॉलेज क्या कर सकते हैं?

  • नियमित मानसिक स्वास्थ्य सेशन

  • प्रशिक्षित काउंसलर की नियुक्ति

  • परीक्षा और करियर को लेकर पॉजिटिव अप्रोच

  • छात्रों में आत्म-संवाद और सहानुभूति को बढ़ावा देना

सरकारी प्रयास

  • MANODARPAN” जैसी पहलें छात्रों की मानसिक स्थिति को समझने के लिए

  • टेली-काउंसलिंग सेवाओं का विस्तार

  • नेशनल मेंटल हेल्थ प्रोग्राम के तहत जागरूकता अभियान

मेंटल हेल्थ पर बात करना कोई कमजोरी नहीं, बल्कि समझदारी है। आज के युवा अगर अपनी मानसिक स्थिति को गंभीरता से लें और सही समय पर सहायता लें, तो वे न सिर्फ खुद को संभाल सकते हैं बल्कि दूसरों की भी मदद कर सकते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दीजिए — क्योंकि स्वस्थ मन में ही स्वस्थ जीवन बसता है।

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